Last Updated on August 4, 2016 by
I wrote this poem on the joys of being a child, in August 2012 inspired by the antics of my nephew.
आज मुझे रोको मत , मुझे बचपन दोहराने दो.
बारिश की बूंदों में आज घुल जाने दो.
साफ़ कपड़ों में वो बात कहाँ
आज इन्हें दाग से सजाने दो
आज मुझे रोको मत , मुझे बचपन दोहराने दो.
तितली के पीछे मुझे भाग जाने दो
आती है बेवजह हसी तो आने दो
ग़म से आज साबका न हो
सिर्फ खुशियों की गंगा में नहाने दो
आज मुझे रोको मत , मुझे बचपन दोहराने दो.
बंसी काका की जलेबियों में उंगलियाँ डुबाने दो.
आज उंगलियाँ भिगोऊंगा , किसी को बीच में न आने दो
वो बरगद का पेड़ बड़ा , उस पेड़ पर चढ़ जाने दो
उस पेड़ की लम्बी मूछों पर झूल जाने दो
आज मुझे रोको मत , मुझे बचपन दोहराने दो.
आज बजाऊँगा तुम्हारे कान में बांसुरी
करूँगा हंगामा और तमाशे एक दो
आज मैं फिर एक बच्चा हूँ
मेरे नखरे उनको भी उठाने दो
आज मुझे रोको मत , मुझे बचपन दोहराने दो.
मुंडेर पर पतंग की पींगे बढाने दो
दोस्तों के सामने डींगे उड़ाने दो
बच्चा , बड़ा , इंसान या जानवर
मुझे निश्छल प्यार लुटाने दो
आज मुझे रोको मत , मुझे बचपन दोहराने दो.
आज खरीद कर नहीं , चुरा कर आम खाने दो
मस्ती के रंग में आज डूब जाने दो
चोट और खरोंचो का डर किसे है
आज तो छड़ी भी पड़ती है तो पड़ जाने दो
आज मुझे रोको मत , मुझे बचपन दोहराने दो.
आज मैं नशे में हूँ ,
मुझे होश में न आने दो
बड़ा हो कर क्या हासिल कर लिया
आज मुझे बच्चा ही रह जाने दो
आज मुझे रोको मत , मुझे बचपन दोहराने दो.
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WARNING : THIS POEM IS WRITTEN BY ABHINAV SINGH. ALL THE IMAGES HERE ARE SHOT BY HIM. COPYRIGHT TO ALL THE IMAGES AND TEXT HERE REMAINS WITH HIM. YOU CAN NOT JUST LIFT THE CONTENT AND USE IT WITHOUT HIS PERMISSION. STRICT LEGAL ACTION WILL BE TAKEN IF CONTENT IS STOLEN.
Beautiful, you got me reminded of the innocent Childhood life we all had!
Hey nice attempt at poetry.. made me nostalgic..
Enjoyed reading this 🙂
Nice one
Thank you 😊
Really appreciated.
Thank you 😊
Nice your poem I like it
Thank you so much! 🙂